Assalamualaikum दोस्तों, यदि आप surah fajr के बारे में जानना चाहते हैं तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं ।
सुरह फज्र एक मक्की आयत है यानी कि वह मक्का में नाजिल हुई थी । यह कुरान माही की एक एहम सूरत है जोकि सूरत नंबर 89 है ।
इस सूरत में अल्लाह की कुदरत बयान की गई है और इंसान के ईमान पर जोर दिया गया है ।
इस सूरत में इंसानियत और इंसान को सब्र और अच्छी तालीम की बात बताई गई है जिससे कि सबका ईमान मजबूत हो ।
इस सूरत को कई ट्रांसलेशन में समझना आसान है इसलिए आप इसके translation इसी आर्टिकल में जानेंगे ।
Surah Al Fajr
सूरह अल फज़्र को निचे सभी लैंग्वेज में दिया है आप अपनी लैंग्वेज के अकॉर्डिंग पढ़ सकते है ,
Surah Fajr In Arabic :
Surah fajr अरबी ट्रांसलेशन में पढ़ें ;
بسْمِ اللهِ الرَّحْمنِ الرَّحِي
- وَالْفَجْرِ
- وَلَيَالٍ عَشْرٍ
- وَالشَّفْعِ وَالْوَتْرِ
- وَاللَّيْلِ إِذَا يَسْرِ
- هَلْ فِي ذَلِكَ قَسَمٌ لِذِي حِجْرٍ
- أَلَمْ تَرَ كَيْفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِعَادٍ
- إِرَمَ ذَاتِ الْعِمَادِ
- الَّتِي لَمْ يُخْلَقْ مِثْلُهَا فِي الْبِلَادِ
- وَثَمُودَ الَّذِينَ جَابُوا الصَّخْرَ بِالْوَادِ
- وَفِرْعَوْنَ ذِي الْأَوْتَادِ
- الَّذِينَ طَغَوْا فِي الْبِلَادِ
- فَأَكْثَرُوا فِيهَا الْفَسَادَ
- فَصَبَّ عَلَيْهِمْ رَبُّكَ سَوْطَ عَذَابٍ
- إِنَّ رَبَّكَ لَبِالْمِرْصَادِ
- فَأَمَّا الْإِنْسَانُ إِذَا مَا ابْتَلَاهُ رَبُّهُ فَأَكْرَمَهُ وَنَعَّمَهُ فَيَقُولُ رَبِّي أَكْرَمَنِ
- وَأَمَّا إِذَا مَا ابْتَلَاهُ فَقَدَرَ عَلَيْهِ رِزْقَهُ فَيَقُولُ رَبِّي أَهَانَنِ
- كَلَّا بَلْ لَا تُكْرِمُونَ الْيَتِيمَ
- وَلَا تَحَاضُّونَ عَلَى طَعَامِ الْمِسْكِينِ
- وَتَأْكُلُونَ التُّرَاثَ أَكْلًا لَمًّا
- وَتُحِبُّونَ الْمَالَ حُبًّا جَمًّا
- كَلَّا إِذَا دُكَّتِ الْأَرْضُ دَكًّا دَكًّا
- وَجَاءَ رَبُّكَ وَالْمَلَكُ صَفًّا صَفًّا
- وَجِيءَ يَوْمَئِذٍ بِجَهَنَّمَ يَوْمَئِذٍ يَتَذَكَّرُ الْإِنْسَانُ وَأَنَّى لَهُ الذِّكْرَى
- يَقُولُ يَا لَيْتَنِي قَدَّمْتُ لِحَيَاتِي
- فَيَوْمَئِذٍ لَا يُعَذِّبُ عَذَابَهُ أَحَدٌ
- وَلَا يُوثِقُ وَثَاقَهُ أَحَدٌ
- يَا أَيَّتُهَا النَّفْسُ الْمُطْمَئِنَّةُ
- ارْجِعِي إِلَى رَبِّكِ رَاضِيَةً مَرْضِيَّةً
- فَادْخُلِي فِي عِبَادِي
- وَادْخُلِي جَنَّتِي
Surah fajr in roman english
सूरह फजर इंग्लिश में पढ़ें :
- Wa’l-Fajr
- Wa Layalin ‘Ashr
- Wa Ash-Shaf’i wal-Watr
- Wal-Layli Iza Yasr
- Hal Fi Zalika Qasamun Lizii Hijr
- Alam Tara Kaifa Fa’ala Rabbuka Bi’ad
- Iram Zatil ‘Imad
- Allati Lam Yukhlaq Misluha Fil-Bilad
- Wa Samuda Allazina Jabu’s-Sakhra Bil-Wad
- Wa Fir’awna Zil-Awtad
- Allazina Taghaw Fil-Bilad
- Fa-Aksaru Fiha’l-Fasad
- Fa-Sabba ‘Alaihim Rabbuka Sawta ‘Azab
- Inna Rabbaka Labil-Mirsad
- Fa-Amma’l-Insanu Iza Ma Abtalahu Rabbuhu Fa-Akramahu Wa Na’amahu Fayaqulu Rabbi Akraman
- Wa Amma Iza Ma Abtalahu Faqadara ‘Alaihi Rizqahu Fayaqulu Rabbi Ahanan
- Kalla Bal La Tukrimuna’l-Yatim
- Wa La Tahadhdhuna ‘Ala Ta’ami’l-Miskin
- Wa Ta’kuluna’t-Turath Akla Lamma
- Wa Tuhibbuna’l-Mala Hubban Jamma
- Kalla Iza Dukkati’l-Ardu Dakkan Dakka
- Wa Jaa’a Rabbuka Wal-Malaku Saffan Saffa
- Wa Ji’a Yawmaizin Bi-Jahannam, Yawma’izin Yatazakkaru’l-Insanu Wa Anna Lahu’z-Zikra
- Yaqulu Ya Laitani Qaddamtu Li-Hayati
- Fa-Yawma’izin La Yu’azzibu ‘Azabahu Ahad
- Wa La Yuthiqa Wathaqahu Ahad
- Ya Ayyatuha’n-Nafsul Mutma’inna
- Irji’i Ila Rabbiki Radiyatan Mardiyya
- Fadkhuli Fi ‘Ibadi
- Wadkhuli Jannati
Surah Fajr in Hindi:
Surah al fajr full हिंदी में पढ़ें ;
- वल-फज्र
- वलयालिन अश्र
- वश-शफि वल-वत्र
- वल-लैल इजा यस्र
- हल फी ज़ालिक क़सम लिज़ी हिज्र
- अलम तारा कैफ़ा फ़अला रब्बुका बिआद
- इरम ज़ातिल इमाद
- अल्लती लम युखलक मिसलहा फिल-बिलाद
- वसमूदल्लज़ीना जाबूस सख्रा बिल-वाद
- व फिरऔन ज़िल-औताद
- अल्लज़ीना तग़वू फिल-बिलाद
- फ़अकसरू फीहा अल-फसाद
- फ़सब्बा अलैहिम रब्बुका सौता अज़ाब
- इन्ना रब्बका लबिल-मिरसाद
- फ़अम्मल इंसानु इज़ा मा अब्तलाहु रब्बुहु फ़अकरमहु व नअमहु फ़यक़ूलु रब्बी अकरमन
- वअम्मा इज़ा मा अब्तलाहु फ़क़दरा अलैहि रिज्कहु फ़यक़ूलु रब्बी अहानन
- कल्ला बल ला तुकरिमूनल यतीम
- वला ताहज़्ज़ूना अला तआमिल मस्कीन
- व तअकुलूनल तुरास अकला लम्मा
- व तुहिब्बूनल माल हुब्बन जम्मा
- कल्ला इज़ा दुक्कतिल अरदु डक्का डक्का
- व जाअ रब्बुका वल मलकु सफ़्फ़न् सफ़्फ़ा
- व जीअ यौमइज़िन् बि जहन्नम, यौमइज़िन् यतज़क्क़रुल इंसानु व अन्ना लहुज़्ज़िकरा
- यक़ूलु या लैतानि क़द्दम्तु लि हयाती
- फ़यौमइज़िन् ला युअज्जिबु अज़ाबहु अहद
- व ला युथिक़ु वसाक़हु अहद
- या अय्यतुहन नफ्सुल मुत्मइनना
- इरजिई इला रब्बिकी रादियतम मरदिय्या
- फ़दख़ुली फी इबादी
- वदख़ुली जन्नती
Surah Al Fajr Tarjuma
सूरह फजर का तर्जुमा यह है ;
- क़सम है फ़जर की,
- और दस रातों की,
- और जुफ्त की और ताक़ की,
- और रात की जब वह चल खड़ी हो (कि आख़िरत में जज़ा व सज़ा ज़रूर होगी)
- एक अ़क़्ल वाले (को यक़ीन दिलाने) के लिये ये क़समें काफ़ी हैं कि नहीं?
- क्या तुमने देखा नहीं कि तुम्हारे परवर्दिगार ने अ़ाद (क़ौम) के साथ क्या सुलूक किया?
- उस ऊँचे सुतूनों वाली क़ौम इरम के साथ
- जिसके बराबर दुनिया के मुल्कों में कोई और क़ौम पैदा नहीं की गयी।
- और समूद की उस क़ौम के साथ क्या किया? जिसने वादी में पत्थर की चट्टानों को तराश रखा था
- और मेंखों (बड़ी कीलों) वाले फ़िरअ़ौन के साथ क्या किया?
- ये वे लोग थे जिन्होंने दुनिया के मुल्कों में सरकशी इख़्तियार कर ली थी,
- और उनमें बहुत फ़साद मचाया था,
- आख़िरकार तुम्हारे रब ने उनपर अज़ाब का कोड़ा बरसा दिया।
- हक़ीक़त ये है कि तुम्हारा रब घात लगाए हुए है
- मगर इनसान का हाल ये है कि उसका रब जब उसको आज़माइश में डालता है और उसे इज़्ज़त और नेमत देता है तो वो कहता है कि मेरे रब ने मुझे इज़्ज़तदार बना दिया।
- और जब वो उसको आज़माइश में डालता है और उसका रिज़्क़ उसपर तंग कर देता है तो वो कहता है कि मेरे रब ने मुझे ज़लील कर दिया।
- हरगिज़ नहीं बल्कि तुम यतीम से इज़्ज़त का सुलूक नहीं करते
- और मिसकीन को खाना खिलने पर एक-दूसरे को नहीं उकसाते
- और मीरास का सारा माल समेटकर खा जाते हो
- और माल की महब्बत में बुरी तरह गिरफ़्तार हो
- हरगिज़ नहीं जब ज़मीन पै-दर-पै कूट-कूटकर रेगज़ार बना दी जाएगी,
- और तुम्हारा रब जलवा-फ़रमा होगा इस हाल में कि फ़रिश्ते सफ़-दर-सफ़ खड़े होंगे,
- और जहन्नम उस रोज़ सामने ले आई जाएगी, उस दिन इनसान को समझ आएगी और उस वक़्त उसके समझने का क्या हासिल?
- वो कहेगा कि काश, मैंने अपनी इस ज़िन्दगी के लिये कुछ पेशगी सामान किया होता!
- फिर उस दिन अल्लाह जो अज़ाब देगा वैसा अज़ाब देनेवाला कोई नहीं,
- और अल्लाह जैसा बँधेगा वैसा बाँधनेवाला कोई नहीं।
- (दूसरी तरफ़ इरशाद होगा) ऐ नफ़्से-मुत्मइन!
- चल अपने रब की तरफ़ इस हाल में कि तू (अपने अंजामे-नेक से) ख़ुश (और अपने रब के नज़दीक़) पसंदीदा है।
- शामिल हो जा मेरे (नेक) बन्दों में
- और दाख़िल हो जा मेरी जन्नत में।
Surah Fajr Ki Fazilat
Surah fajr में अल्लाह ने फजर की काम खाई है जोकि दिन का आगाज है और रात का आखरी हिस्सा है ।
इस वक्त को बहुत ही खास अहमियत दी गई है क्योंकि इस वक्त एक बहुत ही हम नमाज और दिन का आगाज होता है। इस वक्त की कसम खाना यानी बहुत उसे बात को अहमियत देना है।
क्योंकि इस वक्त namaz के साथ-साथ कई और खास काम जुड़े हैं जैसे कि रोज में खाने पीने का रोक देना और नमाज अदा करना।
इस वक्त की अहमियत इस तरह से गुजारनी चाहिए की नमाज अदा करने के बाद हमें मुसलसल इस वक्त को इबादत में गुजारना चाहिए।
इस वक्त को अल्लाह की इबादत से अल्लाह का नाम लेकर और उसकी तारीफ को बयान करके गुजरा चाहिए और अपने दिन की एक बेहतरीन शुरुआत करनी चाहिए।
इस सूरत में दशरथों की कसम खाई गई है कुछ लोग मानते हैं कि यह 10 रातें रमजान की आखिरी दशरथों में से है और कुछ लोग मानते हैं कि यह जिल हिज्जा की पहले की 10 रात है।
FAQ
Surah fajr in hindi konse pare me hai
Surah fajr 89वि सूरत है , इसमें 30 आयतें हैं , यह सूरत पहले पारे में है ।
fajr ki ajaan ka waqt kya hai?
फजर की अज़ान 5:04 पर हो रही है ।
फज्र में कितनी रकात होती हैं ?
फजर में 4 रकात होती है ।
Conclusion
इस आर्टिकल में आप सभी के लिए Surah Fajr की डिटेल्स और कई ट्रांसलेशन में इस सूरत को दिया गया है जिससे कि आप इसको समझ कर याद कर सके और पढ़ सके।
बहुत ही हम और खास सूरत है जो कि पहले बारे में अल्लाह की तारीफ और फजर के वक्त की अहमियत को बयां करती है।
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फि अमान अल्लाह!