Assalamualaikum दोस्तों, मोहर्रम के इस खास महीने में रोज तो सब रखते हैं लेकिन कुछ लोग इसमें कंफ्यूज हो जाते हैं कि Muharram ke roze ki niyat कैसे करें ।
अगर आप भी इसी कन्फ्यूजन में है कि Muharram ke roze ki niyat कैसे करें तो फिर आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं ।
क्योंकि मैं आज आप सभी के साथ इस आर्टिकल में शेयर करूंगी के Muharram ke roze ki niyat कैसे करें ।
इसलिए आर्टिकल को लास्ट तक और अच्छे से पढ़िएगा।
Muharram
मोहर्रम का महीना बहुत ही खास फजीलत रखने वाला महीना है। क्योंकि इस महीने में कई ऐसे काम हुए हैं जो कि आपको शायद ही पता हों या मुहर्रम क्यों बनाते है ,
मिसाल के तौर पर मैं आपको बताना चाहती हूं कि;
- हजरत युनुस अलीहिसलाम मछली के पेट में से 10 मोहरम को निकल गए थे ।
- हजरत मूसा अलीहिसलाम ने 10 मोहर्रम को ही पानी में लाठी मारकर ,उसके दो हिस्से करके समंदर को पार किया था।
- 10 मोहरम को ही अल्लाह ताला ने आदम अलैहिस्सलाम की तौबा को कबूल किया।
- 10 मोहरम को ही अम्मा हव्वा और आदम अलैहिस्सलाम की मुलाकात हुई।
- 10 मोहरम को हि नूह अलीहिसलाम की कश्ती पहाड़ पर जाकर टिकी।
यह 10 मोहर्रम के कुछ खास वाकिया होए हैं । ऐसे ही कई और वाक्य हुए हैं इसलिए 10 मोहर्रम का रोजा रखने की बहुत बड़ी फजीलत है।
हमारे हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया के यहूदी 10 मोहर्रम का रोजा रखते हैं।
तो इस पर आपने कहा कि तुम यहूदी ना बनो और या तो 10 11 मोहर्रम का रोजा रखो या फिर 9 10 मोहर्रम का रोजा रखो।
कहने का मतलब यह था कि दो रोजे लगातार रखना जरूरी है। और इसीलिए या तो 9 10 मोहरम या फिर 10 11 मोहर्रम के रोजे रखे जाते हैं।
Muharram ke roze ki niyat
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि रोजें दो तरीके के होते हैं। पहले तो होते हैं रमजान के रोजें जो सब पर फर्ज होते हैं।
रमजान के महीने के अलावा 11 महीने में आप कोई भी रोजा रखे वह नाफिली रोज कहलाता है।
इसी तरह से जब आप मोहर्रम के रोजे रखते हैं तब आप नाफिली रोजा रखते हैं।
जो फर्ज रोजें होते हैं यानी के जो रमजान के रोजें होते हैं उनमें नियत करना जरूरी नहीं है।
जैसे कि अगर आप रमजान में रात को नियत करके नहीं सोते हैं और अगले दिन शहरी खाकर रोजा रख लेते हैं तब आप अभी आपका रोज़ा हो जाता है।
लेकिन नफिल रोजा में ऐसा नहीं है क्योंकि हमें नफिल रोजे की एक रात पहले ही नियत करनी होती है।
जैसे कि अगर आपको 9 मोहर्रम का रोजा रखना है तो आपको 8 की रात को ही नियत करके सोना है कि मैं अगले दिन का रोजा रखूंगा या रखूंगी।
इसी तरह 10 या फिर 11 मोहर्रम का रोजा अगर आप रखते हैं तो आपको एक रात पहले से ही नियत करनी होगी।
Muharram ka roza kab hai
काफी लोग इस चीज में कंफ्यूज रहते हैं कि Muharram Kab Hai 2024 या फिर हम मोहरम का रोजा किस दिन रखें।
तो मैं आपको बताना चाहूंगी कि मोहर्रम का रोजा 16 जुलाई और 17 जुलाई का है।
दसवें मोहर्रम का यानी कि मोहर्रम की 10 तारीख का रोजा रखना बहुत ही सवाब है। जो की 16 जुलाई में आएगा।
और अगर आप नौ और 10 तारीख यानी कि 9 Muharram ka roza और 10 Muharram ka roza रखना चाहते हैं तो फिर 15 और 16 जुलाई का बैठेगा।
अगर आप 10 Muharram ka roza और 11 Muharram ka roza रखेंगे तब वो 16 और 17 जुलाई का आएगा।
इसलिए आप इन दोनों रोगी को ना छोड़े और उनकी फजीलत का फायदा ले।
आप Muharram Ka Roza Rakhne Ki Dua के लिए इस आर्टिकल को पढ़ना न भूले।
Muharram Ka Roza Rakhne Ki Dua
मोहर्रम का रोजा रखने की दुआ रमजान के रोजा रखते वक्त दुआ ही है ,
बस उसी तरह आपको मोहर्रम का रोजा रखते वक्त भी वही दुआ पढ़नी है,
नियत की मैंने, माहे 10 मुहर्रम उल हराम का रोजा वास्ते अल्लाह तआला के।
Muharram Ka Roza Kholne Ki Dua
मोहर्रम का रोजा इफ्तार करते वक़्त ये दुआ पढ़े :
اَللّٰهُمَّ اِنَّی لَکَ صُمْتُ وَبِکَ اٰمَنْتُ وَعَلَيْکَ تَوَکَّلْتُ وَعَلٰی رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ
अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु, व-बिका आमन्तु, व-अलयका तवक्कालतू, व- अला रिज़क़िका अफतरतू
Allahumma inni laka sumtu wa bika amantu wa ‘alayka tawakkaltu wa ‘ala rizqika
aftartu
O Allah! I fasted for you and I believe in you and I put my trust in You and I break my fast with your sustenance.
Muharram ke roza ki fazilat
जैसा कि मैं अभी यहां पर आर्टिकल में आपको बताया है कि मोहर्रम का रोजा रखने की बहुत बड़ी फजीलत है ।
हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि ;
जो अभी शख्स मोहर्रम की 9 या 10 या फिर 11 तारीख में से किन्हीं दो तारीख में लगातार दो रोजे रख लेता है तो अल्लाह ताला उसके पिछले साल के सभी गुनाह माफ कर देता है।
जो भी मोहर्रम के महीने में दो रोजे रखेगा अल्लाह ताला उसके घर में बेहद बरकत अदा फरमाएंगे।
रिज्क में इस कदर इजाफा होगा कि आप खुद हैरान रह जाएंगे।
FAQ
मोहर्रम के रोजे क्यों रखे जाते हैं?
मोहर्रम के रोजे रखने से पिछले साल के गुनाह माफ किए जाते हैं और अगले साल तक रहमत बरसती है।
रोजा रखने की नियत कैसे की जाती है?
किसी भी काम से पहले नियत जरूरी है तो रोजा रखने से पहले पक्का इरादा करें कि आप रोजा रखेंगे वहीं नियत कहलाएगी।
क्या मुहर्रम में 2 दिन का रोजा रखना अनिवार्य है?
यह नफिल रोजा में शुमार है यह रोजे रखना जरूरी नहीं है।
Conclusion
दोस्तों मैंने इस आर्टिकल में आप सभी के लिए Muharram ke roze ki niyat के बारे मे कुछ इनफॉरमेशन शेयर की है जिससे कि आप इसके बारे में अच्छे से जान सके।
और मोहर्रम के रोजे को रख सके । ऐसे ही इनफॉरमेशन आर्टिकल्स के लिए फॉलो करते रहिए मेरी वेबसाइट Iftar ki dua को । अपनी राय देने के लिए कमेंट करना न भूले।
फि अमान अल्लाह !
2 thoughts on “Muharram Ke Roze Ki Niyat | मोहर्रम का रोज़ा”