Muharram Kyu Manate Hai Hindi Mai | मोहर्रम

Assalamualaikum दोस्तों, आज के आर्टिकल में हम बात करेंगे की muharram kyu manate hai

सब यह तो जानते हैं कि मोहर्रम सबसे पहला महीना होता है इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से ।

और यह भी जानते हैं कि इस महीने मैं मुहर्रम मनाया जाता है जिस में की शिया मुसलमान मातम करते हैं।

कई लोग यह सोचते हैं कि शिया लोग मातम क्यों करते हैं और मुहर्रम क्यों मनाते हैं। तो आज आप इस आर्टिकल में आप अपने सभी सवालों के जवाब पाएंगे।

और इसी के साथ-साथ मोहर्रम के बारे में कुछ डिटेल्स भी देखेंगे इसलिए आर्टिकल muharram kyu manate hai में लास्ट तक बने रहिए ।

muharram kyu manate hai

61वी हिजरी जोकि एक इस्लाम की तारीख है उसमें कर्बला की जंग हुई थी।

जिसमें कि हमारे प्यारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासे को जिनका नाम हुसैन रज़ी अल्लाह तला अन्हू था उनका सर सजदे में कलम कर दिया गया था।

और उनके साथियों को भी वहीं पर शहीद कर दिया गया था।

शिया मुसलमान उनको बहुत मानते हैं और उनके लिए उसी दिन हर साल मातम करते हैं जिस दिन वह शहीद हुए थे।

लेकिन इस्लाम में मातम करना जायज नहीं है। और तो और मातम देखना भी जायज नहीं है। इसलिए जो लोग हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के कहे पर चलते हैं वह कभी भी मातम नहीं करते और ना ही देखते हैं।

Muharram

मोहर्रम का महीना बहुत ही खास फजीलत रखने वाला महीना है। क्योंकि इस महीने में कई ऐसे काम हुए हैं जो कि आपको शायद ही पता हों।

मिसाल के तौर पर मैं आपको बताना चाहती हूं कि;

  • हजरत युनुस अलीहिसलाम मछली के पेट में से 10 मोहरम को निकल गए थे ।
  • हजरत मूसा अलीहिसलाम ने 10 मोहर्रम को ही पानी में लाठी मारकर ,उसके दो हिस्से करके समंदर को पार किया था।
  • 10 मोहरम को ही अल्लाह ताला ने आदम अलैहिस्सलाम की तौबा को कबूल किया।
  • 10 मोहरम को ही अम्मा हव्वा और आदम अलैहिस्सलाम की मुलाकात हुई।
  • 10 मोहरम को हि नूह अलीहिसलाम की कश्ती पहाड़ पर जाकर टिकी।

यह 10 मोहर्रम के कुछ खास वाकिया होए हैं । ऐसे ही कई और वाक्य हुए हैं इसलिए 10 मोहर्रम का रोजा रखने की बहुत बड़ी फजीलत है।

हमारे हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया के यहूदी 10 मोहर्रम का रोजा रखते हैं।

तो इस पर आपने कहा कि तुम यहूदी ना बनो और या तो 10 11 मोहर्रम का रोजा रखो या फिर 9 10 मोहर्रम का रोजा रखो।

कहने का मतलब यह था कि दो रोजे लगातार रखना जरूरी है।

और इसीलिए या तो 9 10 मोहरम या फिर 10 11 मोहर्रम के रोजे रखे जाते हैं।

Muharram ke roza ki fazilat

मोहर्रम की 10 तारीख को रोजा रखा जाता है और मोहर्रम का रोजा रखने की बहुत बड़ी फजीलत है ।

हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि ;

जो अभी शख्स मोहर्रम की 9 या 10 या फिर 11 तारीख में से किन्हीं दो तारीख में लगातार दो रोजे रख लेता है तो अल्लाह ताला उसके पिछले साल के सभी गुनाह माफ कर देता है।

जो भी मोहर्रम के महीने में दो रोजे रखेगा अल्लाह ताला उसके घर में बेहद बरकत अदा फरमाएंगे।
रिज्क में इस कदर इजाफा होगा कि आप खुद हैरान रह जाएंगे।
जो भी शख्स मोहर्रम के रोजे रखता है उसको 1000 शहीदों का सवाब मिलता है।

Muharram ke roze ki niyat

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि रोजें दो तरीके के होते हैं। पहले तो होते हैं रमजान के रोजें जो सब पर फर्ज होते हैं।

रमजान के महीने के अलावा 11 महीने में आप कोई भी रोजा रखे वह नाफिली रोज कहलाता है।

इसी तरह से जब आप मोहर्रम के रोजे रखते हैं तब आप नाफिली रोजा रखते हैं।

जो फर्ज रोजें होते हैं यानी के जो रमजान के रोजें होते हैं उनमें नियत करना जरूरी नहीं है।

जैसे कि अगर आप रमजान में रात को नियत करके नहीं सोते हैं और अगले दिन शहरी खाकर रोजा रख लेते हैं तब आप अभी आपका रोज़ा हो जाता है।

लेकिन नफिल रोजा में ऐसा नहीं है क्योंकि हमें नफिल रोजे की एक रात पहले ही नियत करनी होती है।

जैसे कि अगर आपको 9 मोहर्रम का रोजा रखना है तो आपको 8 की रात को ही नियत करके सोना है कि मैं अगले दिन का रोजा रखूंगा या रखूंगी।

इसी तरह 10 या फिर 11 मोहर्रम का रोजा अगर आप रखते हैं तो आपको एक रात पहले से ही नियत करनी होगी। इस तरह आप Muharram ke roze ki niyat कर सकते है।

Conclusion

दोस्तों मैं आप सभी के लिए इस आर्टिकल muharram kyu manate hai में मोहर्रम से रिलेटेड कई सारी जानकारियां दी है और साथ ही साथ यह भी बताया है कि muharram kyu manate hai ।

ऐसे ही इस्लामी आर्टिकल्स के लिए बना रही है मेरी वेबसाइट पर और अगर आर्टिकल अच्छा लगा हो तो कमेंट करके जरूर बताइए।

फि अमान अल्लाह!

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